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Dhanteras 2024 : 29 अक्टूबर को है धनतेरस, इस दिन से हो जाएगी दीपावली त्योहार की शुरुआत, जानें इस दिन सोना कब खरीदें ?

Dhanteras 2024 : 29 अक्टूबर को है धनतेरस

Dhanteras 2024 : 29 अक्टूबर को है धनतेरस

Dhanteras 2024:  29 अक्टूबर को धनतेरस मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन चांदी खरीदने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। सायंकाल में दीपक जलाने का विशेष महत्व है, जिससे पूरे वर्ष अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती मनाई जाएगी और इसी दिन धन्वंतरि जी की पूजा भी की जाएगी।

धार्मिक त्यौहार कब मनाएं और किस दिन, इसे लेकर आमतौर पर भ्रम की स्थिति बनती रही है। इस वर्ष भी धनतेरस और दीपावली पूजन पर मतभेद हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 29 अक्टूबर को धनतेरस (Dhanteras 2024) और 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। 

धनतेरस के दिन सोना कब खरीदें ? (Dhanteras 2024 ko sona kab buy karen?)

इस साल धनतेरस का शुभ पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा।  इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदने चाहिए। धनतेरस के दिन धातु के बर्तन खरीदना उत्तम होता है।

धनतेरस के दिन सायंकाल दीपक जलाएं (Dhanteras 2024 Pujan)

इस साल 2024 में 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाई जाएगी। इस दिन चांदी खरीदने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है और सायंकाल दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती और धन्वंतरि पूजन होगा। मान्यता है कि दीपावली के दिन तिल के तेल से स्नान करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है। 2 नवंबर को अन्नकूट गोवर्धन पूजा और 3 नवंबर को भाई दूज मनाई जाएगी। अतः शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजन करें।

शुभता और समृद्धि की प्राप्ति (Dhanteras 2024)

धनतेरस या धनत्रयोदशी को भारत के अधिकांश हिस्सों में दिवाली के आरंभिक दिन के रूप में मनाया जाता है। ‘धनतेरस’ का अर्थ है ‘धन’ और ‘तेरस’ जो कि 13वें दिन को दर्शाता है। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण, वाहन, और बर्तन खरीदने का रिवाज है, जिससे घर में समृद्धि आती है। इस दिन को विशेष रूप से लक्ष्मी और शुभता के लिए समर्पित किया गया है। गांवों में किसान अपने मवेशियों को सजा कर पूजा करते हैं, जो उनकी आय का मुख्य स्रोत हैं।

31 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद दीवाली पूजन (Deepawali 2024)

इस साल 2024 में दीवाली 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए। जो लोग प्रदोष काल में पूजन नहीं करते, वे 31 अक्टूबर को निशीथ या महानिशीथ काल में अमृत चौघड़िया में पूजन कर सकते हैं। प्रदोष काल में पूजन करने वाले 1 नवंबर को शाम 6.30 बजे तक महालक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद किसी भी समय पूजा की जा सकती है।

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लक्ष्मी प्राप्ति के अनुष्ठान पूजन (Dhanteras 2024 Laxshmi Pujan 2024)

31 अक्टूबर को 17.38 के बाद अमृत की चौघड़िया प्रारंभ होगी, जो कि 7 बजे तक रहेगी। इस समय में लक्ष्मी को स्थिर करने के लिए पूजा की जा सकती है। जो लोग उल्लू पूजा, बही खाते का पूजन, तांत्रिक अनुष्ठान, और मंत्र जाप करना चाहते हैं, वे 31 अक्टूबर की रात्रि में पूजा कर सकते हैं। 1 नवंबर को अमावस्या संध्या 18.17 बजे तक ही रहेगी, जिसके बाद प्रतिपदा शुरू हो जाएगी।

 

 


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