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बैकुंठ चतुर्दशी मेले में द्रौपदी स्वयंवर का गढ़वाली मंचन, दर्शकों ने पौराणिक संस्कृति का किया अनुभव

बैकुंठ चतुर्दशी मेले में द्रौपदी स्वयंवर का गढ़वाली मंचन, दर्शकों ने पौराणिक संस्कृति का किया अनुभव

श्रीनगर गढ़वाल: बैकुंठ चतुर्दशी मेले में सोमवार रात्रि रुद्रप्रयाग जिले के बच्छणस्यूं पट्टी के मंडाण ग्रुप ने महाभारत कालीन पौराणिक लोकनाट्य “पाण्डवार्ता द्रौपदी स्वयंवर” का मंचन किया। इस प्रस्तुति ने मेले में पौराणिक और सांस्कृतिक माहौल को जीवंत कर दिया।

पौराणिक कथा का मंचन:
लोकनाट्य में राजा द्रुपद की सभा में द्रौपदी के स्वयंवर का आयोजन दिखाया गया, जहां अर्जुन ने मत्स्य भेद कर द्रौपदी को वरमाला पहनाई। यह कथा गढ़वाली भाषा में प्रस्तुत की गई, जिसे अंकित रावत ने लिखा है।

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कलाकारों की भूमिकाएं:
लोकनाट्य में प्रमुख भूमिकाएं इस प्रकार थीं:

कौरव पक्ष में:

अन्य पात्रों में द्रुपद की भूमिका भरत पटवाल ने निभाई, जबकि श्रीकृष्ण की भूमिका में आशुतोष नजर आए।

संगीत और गायन:
मंचन में अंकित रावत, अंजलि, बीना देवी, कृष्णा रावत और अंकित कठैत ने अपने गायन से प्रस्तुति को और भी प्रभावी बनाया।

सम्मान और उपस्थिति:
नगर निगम ने सभी कलाकारों को साल भेंट कर सम्मानित किया। आयोजन में भाजपा मंडल अध्यक्ष जितेंद्र धिरवाण, जिला व्यापार सभा अध्यक्ष वासुदेव कण्डारी, प्रकाश चमोली, जसपाल सिंह गुसाईं और प्रदीप नयाल जैसे गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

गढ़वाली संस्कृति का उत्सव

इस लोकनाट्य के माध्यम से दर्शकों ने गढ़वाली संस्कृति और महाभारत काल की पौराणिक गाथा का अनुभव किया। बच्छणस्यूं मंडाण ग्रुप की प्रस्तुति ने मेले की रंगत को और भी खास बना दिया।

 


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