BIS CARE APP : भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) देहरादून शाखा के निदेशक श्री सौरभ तिवारी ने बताया कि उपभोक्ता अब मोबाइल ऐप के माध्यम से घर बैठे असली और नकली उत्पादों की पहचान कर सकते हैं। इस मोबाइल केयर ऐप को प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है, जो कि उपभोक्ताओं को बीआईएस मानक चिह्न के माध्यम से प्रमाणित उत्पादों की पहचान में मदद करता है। यह पहल उपभोक्ता सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए की गई है ताकि बाजार में नकली उत्पादों की समस्या से निपटा जा सके।
उन्होंने बताया कि देश में 600 से अधिक उत्पाद ऐसे हैं, जिनके निर्माण, आयात, या विक्रय के लिए BIS मानक चिह्न अनिवार्य किए गए हैं। उपभोक्ता इस ऐप का इस्तेमाल करके किसी भी उत्पाद का BIS प्रमाणित होना चेक कर सकते हैं।
BIS CARE APP के विकास में संस्थानों से सहयोग
BIS, भारतीय मानक निर्माण की प्रक्रिया को सशक्त बनाने के लिए राज्य के चार प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) कर रहा है, जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (GBPUAT) पंतनगर, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) उत्तराखंड, और ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय शामिल हैं। इसके माध्यम से नए मानकों के निर्माण में सहायता मिलेगी और अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा।
[इसे भी पढ़ें – सारा अली खान दिवाली से पहले पहुंचीं केदारनाथ, नंदी बैल के आगे नतमस्तक, विधि-विधान से की पूजा]
किसानों के लिए पहला मानकीकृत कृषि प्रदर्शनी फार्म
BIS ने किसानों की सहायता के लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के साथ देश में पहला मानकीकृत कृषि प्रदर्शनी फार्म (SADF) स्थापित करने के लिए समझौता किया है। इसके तहत एक पायलट परियोजना के माध्यम से आईएसआई चिह्नित कृषि उत्पादों का उपयोग कर फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार का मूल्यांकन किया जाएगा।
क्षमता निर्माण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान
BIS राज्य सरकार के विभिन्न विभागों जैसे लोक निर्माण विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, राज्य आपदा प्रबंधन विभाग, आदि के साथ भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है ताकि अधिकारियों को BIS मानकों के प्रति जागरूक किया जा सके। साथ ही, उपभोक्ताओं में मानकीकरण की समझ बढ़ाने के लिए स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के साथ मिलकर जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
टोल-फ्री नंबर और डिजिटल संवाद
उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए BIS ने एक टोल-फ्री नंबर भी शुरू किया है, जिससे कोई भी नागरिक अपने सवालों का समाधान पा सकता है। साथ ही, BIS ने उपभोक्ताओं के साथ संवाद के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य डिजिटल इंटरैक्शन प्लेटफार्मों की भी शुरुआत की है, ताकि उपभोक्ता आसानी से BIS टीम के साथ संवाद कर सकें।
अब उपभोक्ताओं को नकली सामानों की पहचान के लिए बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। BIS का यह नया मोबाइल ऐप असली-नकली उत्पादों की पहचान में उपभोक्ताओं की सहायता करेगा और उन्हें सशक्त बनाएगा।
अगर आपकोBIS CARE APPसे सम्बंधित यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे Facebook | Twitter | Instagram व | Youtubeको भी सब्सक्राइब करें