अल्मोड़ा बस हादसा: अल्मोड़ा में हुए दर्दनाक बस हादसे ने परिवहन व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। हादसे के दौरान, 42-सीटर बस में 66 लोग सवार थे, जो ओवरलोडिंग के गंभीर खतरे का संकेत है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि आरटीओ विभाग का ध्यान केवल राजस्व पर रहता है, जबकि सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। इस हादसे के बाद, परिवहन अधिकारी नेहा झा को निलंबित कर दिया गया है। यह दूसरी बार है जब उन्हें इस तरह की लापरवाही के चलते सस्पेंड किया गया है।
घटना के बाद मुख्यमंत्री को भी रामनगर में जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ा। लोग हादसे के लिए सीधे-सीधे परिवहन विभाग और आरटीओ की ढील को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। स्थानीय प्रदर्शनकारियों ने ओवरलोडिंग की समस्या पर सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि प्रशासन की लापरवाही के चलते मासूम लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।
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स्थानीय निवासियों ने यह भी कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में परिवहन के मानकों को सख्त करने की जरूरत है। आरटीओ की लापरवाही और लगातार नियमों की अनदेखी के कारण ऐसे हादसे हो रहे हैं, जो बेहद चिंताजनक है। लोग प्रशासन से अपेक्षा कर रहे हैं कि इस मामले में ठोस कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
इस दुखद हादसे ने सरकार और परिवहन विभाग पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है और आम जनता ने उम्मीद जताई है कि इस बार प्रशासन ओवरलोडिंग जैसी घातक समस्याओं पर सख्त कदम उठाएगा।
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