
फोटो केवल सांकेतिक : राष्ट्रीय महिला आयोग ने गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव को लगाई फटकार, 10 दिनों में कार्रवाई के निर्देश
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में सह-आचार्य डॉ. अमिता के प्रकरण में राष्ट्रीय महिला आयोग ने विश्वविद्यालय प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। आयोग ने 12 नवंबर को ऑनलाइन माध्यम से हुई सुनवाई में कुलसचिव राकेश डयोढ़ी को गलत जानकारी देने और मामले में देरी पर गंभीर आपत्ति दर्ज की।
डॉ. अमिता की ओर से पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक डॉ. सुधांशु जायसवाल पर दुर्व्यवहार, प्रताड़ना और POSH Act 2013 तथा ICC नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। आयोग ने कहा कि किसी भी महिला की शिकायत पर 90 दिनों के भीतर कार्रवाई अनिवार्य है, जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस नियम का पालन नहीं किया।
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सुनवाई के दौरान आयोग ने पाया कि कुलसचिव द्वारा प्रस्तुत जानकारी वास्तविक तथ्यों से मेल नहीं खाती। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए आयोग ने कुलसचिव के खिलाफ भी आवश्यक कार्रवाई पर विचार का संकेत दिया। कई बिंदुओं पर विश्वविद्यालय द्वारा दी गई जानकारी का खंडन स्वयं डॉ. अमिता ने सुनवाई में किया।
आयोग ने विश्वविद्यालय प्रशासन से POSH कानून के तहत किए गए कार्यक्रमों, कैंपस में स्थापित शिकायत पेटियों, जेंडर सेन्सिटाइजेशन गतिविधियों, तथा आईसीसी में दर्ज शिकायतों और उनकी कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने साफ कहा कि इतने गंभीर मामले में प्रशासन का ढीला रवैया “बेहद शर्मनाक” है और महिलाओं की बार-बार की शिकायतों पर कार्रवाई न होना “चिंताजनक” स्थिति को दर्शाता है।
आयोग ने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया है कि 10 दिनों के भीतर डॉ. अमिता के मामले में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए, अन्यथा विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध भी एक्शन लिया जाएगा। साथ ही कुलसचिव द्वारा गलत जानकारी देने से संबंधित सभी प्रकाशित समाचार भी आयोग को उपलब्ध कराने को कहा गया है।
महिला आयोग ने डॉ. अमिता को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है।
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